इराक़

इराक़ गणराज्य

جُمْهُورِيَّة الْعِرَاقِ
کۆماری عێراق
इराक़ का ध्वज
ध्वज
इराक़ का कुल चिह्न
कुल चिह्न
ध्येय वाक्य: ٱللَّٰهُ أَكْبَرُ
("अल्लाह महान है")
राष्ट्रगान: مَوْطِنِي
(मेरी गृहभूमि)
इराक़ की अवस्थिति
राजधानी
एवं सबसे बड़ा शहर
बग़दाद
आधिकारिक भाषा(एँ)अरबी
कुर्दी
धर्म
इस्लाम (94%), इसाई (4–5%), मंडियन & यज़ीदी (<1%)
निवासीनामइराक़ी
सरकारविकासशील संसदीय गणतंत्र
अब्दुल लतीफ़ राशिद
मोहम्मद शिया अल-सूदानी
स्वतंत्रता
 स्वतंत्रता
3 अक्टूबर 1932
14 जुलाई 1958
15 अक्टूबर 2005
क्षेत्रफल
 कुल
438,317 कि॰मी2 (169,235 वर्ग मील) 58वाँ)
 जल क्षेत्र (%)
4.93
जनसंख्या
 2024 जनगणना
48,407,895
 जनघनत्व
82.7/किमी2 (214.2/मील2) (125वाँ)
GDP (PPP)२००९ प्राक्कलन
 कुल
$११४.१५१ बिलियन (-)
 प्रति व्यक्ति
$३,६५५ (-)
मुद्राइराक़ी दीनार (IQD)
समय मंडलUTC+३ (GMT+३)
 ग्रीष्मकालीन (DST)
UTC+३
दूरभाष कोड९६४
इंटरनेट TLD.iq
  1. कुर्द Ey Reqîb को राष्ट्रगान के तौर पे इस्तेमाल करते हैं।
  2. इराकी कुर्दिस्तान की राजधानी अर्बिल है।
  3. अरबी और कुर्द इराकी सरकार की आधिकारिक भाषा है। आर्टिकल ४ के अनुसार, इराकी सविंधान खंड ४ के अनुसार, एसिरियन (सिरियाक) (एरामिक भाषा कि एक बोली) और इराकी तुर्कमान (तुर्क भाषा कि एक बोली) भाषा उन क्षेत्रों की आधिकारिक भाषा है जहाँ के संबधित जनसंख्या उस क्षेत्र में सबसे ज्यादा रहते हैं।
  4. सीआईए वर्ल्ड फैक्टबुक
श्रेणी:Pages using infobox country with unknown parameters#longmइराक़श्रेणी:Pages using infobox country with unknown parameters#longdइराक़श्रेणी:Pages using infobox country with unknown parameters#country codeइराक़श्रेणी:Pages using infobox country with unknown parameters#latmइराक़श्रेणी:Pages using infobox country with unknown parameters#latNSइराक़श्रेणी:Pages using infobox country with unknown parameters#longEWइराक़श्रेणी:Pages using infobox country with unknown parameters#HDI categoryइराक़श्रेणी:Pages using infobox country with unknown parameters#area magnitudeइराक़श्रेणी:Pages using infobox country with unknown parameters#population densityइराक़श्रेणी:Pages using infobox country with unknown parameters#latdइराक़श्रेणी:Pages using infobox country with unknown parameters#population densitymi²इराक़

इराक़ (अरबी: الْعِرَاق, कुर्दी: عێراق) मध्य-पूर्व एशिया में स्थित एक गणतांत्रिक देश है जहाँ के लोग मुख्यतः मुस्लिम हैं। इसके दक्षिण में सउदी अरब और कुवैत, पश्चिम में जॉर्डन और सीरिया, उत्तर में तुर्की और पूर्व में ईरान (कुर्दिस्तान प्रांत (ईरान)) अवस्थित है। दक्षिण पश्चिम की दिशा में यह फ़ारस की खाड़ी से भी जुड़ा है। दजला नदी और फरात इसकी दो प्रमुख नदियाँ हैं जो इसके इतिहास को 5000 वर्ष पीछे ले जाती हैं। इसके दोआबे में ही मेसोपोटामिया की सभ्यता का उदय हुआ था।

इराक़ के इतिहास में अश्शूर के पतन के बाद विदेशी शक्तियों का प्रभुत्व रहा है। ईसापूर्व छठी सदी के बाद से फ़ारसी शासन में रहने के बाद (सातवीं सदी तक) इसपर अरबों का प्रभुत्व बना। अरब शासन के समय यहाँ इस्लाम धर्म आया और बगदाद अब्बासी खिलाफत की राजधानी रहा। तेरहवीं सदी में मंगोल आक्रमण से बगदाद का पतन हो गया और उसके बाद की अराजकता के वर्षों बाद तुर्कों (उस्मानी साम्राज्य) का प्रभुत्व यहाँ पर बन गया २००३ से दिसम्बर २०११ तक अमेरिका के नेतृत्व में नैटो की सेना की यहाँ उपस्थिति बनी हुई थी जिसके बाद से यहाँ एक जनतांत्रिक सरकार का शासन है।

राजधानी बगदाद के अलावा करबला, बसरा, किर्कुक तथा नजफ़ अन्य प्रमुख शहर हैं। यहाँ की मुख्य बोलचाल की भाषा अरबी और कुर्दी भाषा है और दोनों को सांवैधानिक दर्जा मिला है।

इतिहास

इराक़ के इतिहास का आरंभ बेबीलोनिया और उसी क्षेत्र में आरंभ हुए कई अन्य सभ्यताओं से होता है। लगभग 5000 ईसापूर्व से सुमेरिया की सभ्यता इस क्षेत्र में फल-फूल रही थी। इसके बाद बेबीलोनिया, असीरिया तथा अक्कद के राज्य आए। इस समय की सभ्यता को पश्चिमी देश एक महान सभ्यता के रूप में देखते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि लेखन का विकास सर्वप्रथम यहीं हुआ। इसके अलावा विज्ञान, गणित तथा कुछ अन्य विषयो का सबसे आरंभिक प्रमाण भी यहीं मिलता है। इसका दूसरा प्रमुख कारण ये हैं कि मेसोपोटामिया (आधुनिक दजला-फरात नदियों की घाटी का क्षेत्र) को प्राचीन ईसाई और यहूदी कथाओं में कई पूर्वजों का निवास स्थान या कर्मस्थली माना गया है। आरंभ के यूरोपीय इतिहासकारों ने बाईबल के मुताबिक इतिहास की शुरुआत 4400 ईसापूर्व माना था। इस कारण बेबीलोन (जिसे बाबिली सभ्यता भी कहा जाता था) तथा अन्य सभ्यताओं को दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता माना गया। हँलांकि वैज्ञानिक विधियों से इसकी संतोषजनक पुष्टि होती है, इस बात को बाद के यूरोपीय इतिहासकारों ने मानने से मना कर दिया कि यहीं से इंसान की उत्पत्ति हुई थी। इस स्थल को यहूदियों तथा इसाईयों के (और इस कारण इस्लाम के कुछ) धर्मगुरुओं (पैग़म्बरों तथा मसीहों) का मूल-स्थल मानने पर अधिकांश इतिहासकार सहमत हैं।

फ़ारस के हख़ामनी (एकेमेनिड) शासकों की शक्ति का उदय ईसा के छठी सदी पूर्व हो रहा था। उन्होंने मीदियों तथा बाद के असीरियाइयों को हरा कर आधुनिक इराक़ पर कब्जा कर लिया। सिकन्दर ने 330 इसापूर्व में फ़ारस के शाह दारा तृतीय को कई युद्धों में हरा कर फ़ारसी साम्राज्य का अन्त कर दिया। इसके बाद इराकी भूभाग पर यवनों तथा बाद में रोमनों का आंशिक प्रभाव रहा। रोमनों की शक्ति जब अपने चरम पर थी (130 इस्वी) तब ये फ़ारस के पार्थियनों के सासन में थी। इसके बाद तीसरा सदी के आरंभ में सासानियों ने पार्थियनों को हराकर इराक़ के क्षेत्र पर अपना कब्जा बना लिया। इसके बाद से सातवीं सदी तक मुख्य रूप से यह पारसी सासानियों के शासन में ही रही। पश्चिमी पड़ोसी सीरिया से रोमनों ने युद्ध जारी रखा और इस बीच ईसाई धर्म का भी प्रचार हुआ।

इस्लाम

इसके बाद जब अरबों का प्रभुत्व बढ़ा (630 इस्वी) तब यह अरबों के शासन में आ गया। फ़ारस पर भी अरबों का प्रभुत्व हो गया और 762 में बग़दाद इस्लामी अब्बासी ख़िलाफ़त की राजधानी बनी। यह क्षेत्र इस्लाम के केन्द्र बन गया। बगदाद में इस्लाम के विद्वानों ने पुस्तकालयों का निर्माण करवाया। इस्लाम का प्रसार हो रहा था और बगदाद का महत्त्व बढ़ता जा रहा था। सभी इस्लामिक प्रदेश, स्पेन से लेकर मध्य एशिया तक, बग़दाद को किसी न किसी रूप में कर देते थे। पर धीरे-धीरे इस्लामिक राज्य स्वायत्त होते गए।

बग़दाद में बना अब्बासी सिक्का, सन् 1244

1258 में मंगोलों ने बग़दाद पर कब्जा कर लिया। उन्होंने भयंकर नरसंहार किया और पुस्तकालयों को जला दिया। कोई 90,000 लोग मारे गए और कई इतिहासकार मानते हैं कि इस युद्ध के बाद ही इराक़ के इस हिस्से में खेती का नाश हो गया और जनसंख्या में भारी कमी आ गई। इसके बाद इराक़ पर सन् 1401 में तैमूर लंग का आक्रमण भी हुआ जिसमें भी कई लोग मारे गए। पंद्रहवीं सदी में इस्तांबुल के उस्मानी (औटोमन) तुर्क तथा अन्या स्थानीय पक्षों के बीच इराक़ के लिए संघर्ष होता रहा।

उस्मानी तुर्कों (ऑटोमन) ने सोलहवीं सदी के अन्त में बग़दाद पर अधिकार किया। इसके बाद फ़ारस के सफ़वी वंश तथा तुर्कों के बीच बग़दाद तथा इराक़ के अन्य हिस्सों के लिए संघर्ष होता रहा। 1508-33 कथा 1622-38 के काल के अलावा तुर्क अधिक शक्तिशाली निकले। इसी समय नज्द से बेदू आप्रवासियों की संख्या भी बहुत बढ़ी। ईरान के ओर से बाद में, अठारहवीं सदी में, नादिर शाह ने कई बार तुर्कों के खिलाफ़ हमला बोला पर वो भी महत्वपूर्ण शहरों पर कब्जा करने में नाकामयाब रहा। मामलुकों के जॉर्जियाई प्रांतपालों का शासन इराक़ पर बना रहा और उन्होंने स्थानीय विद्रोहों को दबाने में सफलता प्राप्त की। सन् 1831 में उस्मानी तुर्कों ने मामलुकों पर नियंत्रण पाने में सफलता हासिल की।

प्रथम विश्वयुद्ध

प्रथम विश्वयुद्ध में तुर्की, जर्मनी के साथ था और इस तरह इराक़ ब्रिटेन का विरोधी। सन् 1916-17 में ब्रिटिश सेना ने, जिसमें भारतीय टुकड़ी भी थी, आरंभिक हारों के बाद बग़दाद पर कब्जा कर लिया। युद्ध में मिली जीत के बाद ब्रिटेन और फ्रांस के बीच पश्चिम एशिया पर शासन के बंटवारे के लिए समझौता हुआ जिसके तहत ब्रिटेन ने इराक़ पर कब्जा बनाए रखा। युद्ध के बाद दिल्ली में बनाए गए इंडिया गेट में भारतीय सैनिकों के मेसोपोटामिया में उपस्थित होने का ज़िक्र मिलता है।

आधुनिक काल

स्वतंत्रता दिवस (इराक) सन् 1932 में ब्रिटेन ने इराक़ को स्वतंत्र घोषित किया लेकिन इराक़ी मामलों में ब्रितानी हस्तक्षेप बना रहा। 1958 में हुए एक सैनिक तख्तापलट के कारण यहाँ एक गणतांत्रिक सरकार बनी पर 1968 में समाजवादी अरब आंदोलन ने इसका अंत कर दिया। इस आंदोलन के प्रमुख नेता रही बाथ पार्टी। इस पार्टी का सिद्धांत देश को दुनिया के नक्शे पर लाना और आधुनिक अरबी इस्लामिक राष्ट्र बनाना था।

सद्दाम हुसैन का स्थान आधुनिक इराक़ी इतिहास में बहुत प्रमुखता से लिया जाता है। उसने बाथ पार्टी के सहारे अपना राजनैतिक सफ़र शुरु किया। उसने पहले तो इराक को एक आधुनिक राष्ट्र बनाने का प्रयत्न किया पर बाद में उसने कुर्दों तथा अन्य लोगों के खिलाफ़ हिंसा भी करवाई। 1979 में पड़ोसी ईरान में एक इस्लामिक जनतांत्रिक सरकार बनी जो राजशाही के खिलाफ़ विद्रोह के परिणाम स्वरूप बनी थी। यह नई ईरानी शासन व्यवस्था बाथ पार्टी के नए शासक सद्दाम हुसैन के लिए सहज नहीं थी - कयोंकि ईरान में अब शिया शासकों के हाथ सत्ता थी और इराक़ में भी शिया बहुमत (60 %) में थे। सद्दाम और उसकी पार्टी सुन्नी समर्थक थी। अपने सत्ता के तख़्तापलट की साजिश का कारण बताकर सद्दाम ने ईरान के साथ 1980 में एक युद्ध घोषित कर दिया जो 8 सालों तक चला और इसका अंत अनिर्णीत रहा। इसके बाद देश खाड़ी युद्ध में भी उलझा रहा। बाद में अमेरिकी नेतृत्व में नाटो की सेनाओं के 2003 में इराक़ पर चढ़ाई करने के बाद इसे ग़िरफ़्तार कर लिया गया और एक मुकदमे में सद्दाम हुसैन को फ़ांसी की सज़ा मिली। दिसंबर 2011 में आखिरी नैटो सेनाएं देश से कूच कर गईं और इस तरह 8 सालों की विदेशी सैन्य उपस्थिति का अंत हुआ। अभी वहाँ नूरी अल मलिकी के नेतृत्व वाली सरकार है जो शिया बहुल है।

विभाग

इराक के 18 प्रशासनिक प्रान्त हैं। इन्हें अरबी में मुहाफ़धा और कुर्दी में पारिज़गा कहते हैं। इनका विवरण इस प्रकार है -

इराक़ के प्रशासनिक मंडलों का संख्यावार चित्र
इराक़ के प्रशासनिक मंडलों का संख्यावार चित्र
  1. बगदाद
  2. सला अल दीन
  3. दियाला
  4. वासित
  5. मयसन
  6. अल बसरा
  7. धी क़र
  8. अल मुतन्ना
  9. अल-क़ादिसिया
  10. बाबिल
  11. करबला
  12. नजफ़ या अन्नजफ़
  13. अल अनबार
  14. निनावा
  15. दहुक
  16. अर्बिल
  17. अत तमीम (किरकुक)
  18. सुलेमानिया

इनमे से आख़िरी के तीन इराक़ी कुर्दिस्तान में आते हैं जिसका एक अलग प्रशासन है।

यह भी देखिए

श्रेणी:इराक़ श्रेणी:नैऋत्य जंबुद्वीप श्रेणी:एशिया के देश श्रेणी:अरब लीग के देश श्रेणी:अरबी-भाषी देश व क्षेत्र श्रेणी:पश्चिमी एशिया श्रेणी:संघीय गणराज्य
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