File:Rajsthan ki bhasa.png

Summary

Description
English: जनपद री बोल्यां है मिणियां

मेवाड़ी, ढूंढाड़ी, वागड़ी, हाड़ोती, मरुवाणी। सगळां स्यूं रळ बणी जकी बा भाषा राजस्थानी। रवै भरतपुर, अलवर अळघा आ सोचो क्यां ताणी! हिन्दी री मां, सखी बिरज री भाषा राजस्थानी। जनपद री बोल्यां है मिणियां - कवि कन्हैयालाल सेठिया

आ भाषा म्हांरी है

आ भाषा म्हांरी है लोगां ! माता आ म्हांरी है ! राजस्थानी भाषा सगळा राजस्थान्यां री है !

नव दुर्गा ज्यूं इण माता रा रूप निजर केई आवै मोद बधावै मेवाड़ी मन हाड़ौती हरखावै बागड़ी ढूंढाणी मेवाती मारवाड़ी है ! भांत भांत सिणगार सजायेड़ी आ रूपाळी है ! आ माता म्हारी है बीरा, माता आ थारी है ! !

मत करज्यो रे बै'म कै भायां सूं भाई न्यारा है काळजियै री कोर है भाई आंख्यां रा तारा है अणबण व्हो ; म्हैं जूदा नीं व्हांंमन में धारी है ! सावचेत रे टकरावणियां ! जीत अबै म्हांरी है ! सावचेत रे टरकावणियां ! जीत अबै म्हांरी है ! - राजेन्द्र स्वर्णकार

राजस्थानी भाषा

वीर शिरोमणी धरती री पहचाण है या परिभाषा है सारी भाषावां सूं न्यारी राजस्थानी भाषा है समला जग में या जस पावे जन-जन री अभिलाषा है सारी भाषावां सूं न्यारी राजस्थानी भाषा है मायड़ भाषा रे सगला हेतालुवां ने हेलो है अपणी भाषा में बतलाणों फरज आपणो पेलो है सबद-सबद इतरो मीठो मन कैवे वाह-सा वाह-सा है सारी भाषावां सूं न्यारी राजस्थानी भाषा है गांव-स्हैर ढाणी-ढाणी जन-जन ने जाय जगाणो है मासी काकी भुआ बिच्चै मां ने मान दिराणो है अठा सूं बोल्या है बाङसा अर वठा सूं बोल्या माङसा है सारी भाषवां सूं न्यारी राजस्थानी भाषा है म्हांने म्हांकी मायड़ भाषा पे है घणो मान-अभिमान म्हांके संग सगला जगआला गावे राजस्थानी गुणगान आबाआली पीढ़ी रे मन री जीवन री आशा है सारी भाषावां सूं न्यारी राजस्थानी भाषा है

आपणी भासा राजस्थानी, आपणो राजस्थान रचनाकार-पन्नालाल कटारिया 'बिठौड़ा'

देश दिसावरी भेला होय, सगला ल्यौ थै ठाण। आपणी भासा राजस्थानी, आपणो राजस्थान। रिपिया टक्का घणा ई, कमावो, थोडो देवो ध्यान। आपणी भासा राजस्थानी, आपणो राजस्थान। राजस्थान ओलखिजे, मायड़ भासा रे पाण। आपणी भासा राजस्थानी, आपणो राजस्थान। राजस्थान री राजस्थानी, कांई परतख ने परमाण। आपणी भासा राजस्थानी, आपणो राजस्थान। राजस्थानी मीठी भासा, अर, गुणो री खाण। आपणी भासा राजस्थानी, आपणो राजस्थान, मांयड ने मान दिरावालां, हिरदै ल्यौ थे ठाण। आपणी भासा राजस्थानी, आपणो राजस्थान। अबै निदांला मत रहिजो, थाने मायड भौम री आण। आपणी भासा राजस्थानी, आपणो राजस्थान। गांव-गांव, ढांणी-ढांणी मंडियो है घमसाण। आपणी भासा राजस्थानी, आपणो राजस्थान। मायड़ उडीके मानता ने, ल्यावो संजीवनी, हडमान। आपणी भासा राजस्थानी, आपणो राजस्थान। मायड़ सूपत सब ऐक है, किण विध खिचाताण। आपणी भासा राजस्थानी, आपणो राजस्थान। जग बिसरमा उडीकतां, पर! कोनी मिली पिछाण। आपणी भासा राजस्थानी, आपणो राजस्थान। धरमराज बण कोई काढेला, मानता रो फरमाण। आपणी भासा राजस्थानी, आपणो राजस्थान। हाथ जोड अरदास पन्ना री, मिलै मायड़ ने सनमान। आपणी भासा राजस्थानी आपणो राजस्थान

एै माई (संकलन:-सूरतगढ टाइम्स, तारीख- 1 जनवरी 2009, अंक-17, पेज-3, प्रस्तुति: चालकदान चारण, गांव-रातडियात, नोखा, जिला-बीकानेर)

एै माई तूं एैडा बेटा मत जिणजे जिका मायड भाषा नै जाणै नी मायड भाषा ने जाणै नीं, अर ईणरो सार पहचाणे नीं। एै माई तूं एैडा बेटा मत जिणजे जिका मायड भाषा नै जाणै नी।

मायड भाषा ने देखो भायां गावां री गळीयां में डोले है अपणे टाबरिया रै खातर मन रा मार्गिया खोले है केई कपूत ईणरे जल्मिया मायड रे आडो नी खोले है जाणे है पण मुण्डो लुकावे ए नुगरा णीं बोले है एैडा माणस नीं चाइजे जिका अपाणी मां नै जाणे नीं।

एै माई तूं एैडा बेटा मत जिणजे जिका मायड भाषा नै जाणै नी मायड भाषा ने जाणै नीं, अर ईणरो सार पहचाणे नीं।

ै मायड तो थने मोटो करियो मुण्डे में थारै रमाई ही जद तूं बोलण लाग्यो जग में मां ही हरखाई ही। मोटो मिनख बण गयो तूं मायड भाषा ने भुलाई है एैडा आ कपूत जल्मिया इणरे, मां घणी दुःखदाई है परभाषा ने पालण वाळा निज भाषा ने जाणे नीं।

एै माई तूं एडैा बेटा मत जिणजे जिका मायड भाषा नै जाणै नी मायड भाषा ने जाणै नीं, अर ईणरो सार पहचाणे नीं।

छपन्न भोग सी मायड भाषा ईणरो भोग नीं करावे है एैडो निरलज मत जिणजे जिको एन्ठ्योडे ने खावे है एैड करोडू जिण दीजे जिको जी मायड में रखावे है एैडा करोडू जिण दीजे जिका ईणपे जीव लुटावे है जिण घर में आ बोली नीं जावे बो घर शमशाणा सूं कम नीं।

एै माई तूं एडा बेटा मत जिणजे जिका मायड भाषा नै जाणै नी मायड भाषा ने जाणै नीं, अर ईणरो सार पहचाणे नीं।

एैडे नीच निकम्मा री तो आ जूणी-जूणी नीं जिण मुण्डे में ईणारा बोल नही जाणो उण मुण्डे में जिभां नीं एैडे मंगते माणसा ने आप ही मात दिरावो जी एैडे मायड द्रोहिया ने जड सूं आप कटावो जी मायड भाषा नीं बोले बीने राजस्थान में रहणो नीं

एै माई तूं एैडा बेटा मत जिणजे जिका मायड भाषा नै जाणै नी

मायड भाषा ने जाणै नीं, अर ईणरो सार पहचाणे नीं।
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Author Manish panwar saini

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